छत्रपति संभाजी महाराज पर आधारित फिल्म ‘छावा’ ने भारतीय बॉक्स ऑफिस पर ₹600 करोड़ की कमाई कर इतिहास रच दिया है।
यह उपलब्धि हासिल करने वाली यह दूसरी हिंदी फिल्म बन गई है, जो किसी फ्रेंचाइज़ी का हिस्सा नहीं है।
- SHUBHAM SONI
- DATE-22/04/2025
फिल्म ‘छावा’ का संक्षिप्त परिचय
- निर्देशक: लक्ष्मण उटेकर
- मुख्य कलाकार: विक्की कौशल (छत्रपति संभाजी महाराज), रश्मिका मंदाना (येसुबाई भोंसले)
- संगीत: ए.आर. रहमान
- गीतकार: इरशाद कामिल
- निर्माता: दिनेश विजान (मैडॉक फिल्म्स)
फिल्म में अक्षय खन्ना, आशुतोष राणा और दिव्या दत्ता जैसे अनुभवी कलाकारों ने भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं।
बॉक्स ऑफिस पर ‘छावा’ की उपलब्धियाँ
‘छावा’ ने घरेलू बॉक्स ऑफिस पर ₹600.10 करोड़ की नेट कमाई की है, जिसमें हिंदी संस्करण से ₹596.20 करोड़ और तेलुगु डब संस्करण से ₹3.90 करोड़ शामिल हैं। यह फिल्म अभी भी सिनेमाघरों में चल रही है और इसके आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं।
विश्वव्यापी कमाई-
‘छावा’ की विश्वव्यापी सकल कमाई ₹807.6 करोड़ तक पहुंच गई है, जिससे यह 2025 की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में से एक बन गई है।
भारत में शीर्ष 10 हिंदी फिल्मों की सूची –
रैंक | फिल्म | वर्ष | नेट कलेक्शन (₹ करोड़) |
1 | जवान | 2023 | 643.87 |
2 | स्त्री 2 | 2024 | 627.02 |
3 | छावा | 2025 | 600.10 |
4 | एनिमल | 2023 | 556.36 |
5 | पठान | 2023 | 543.05 |
6 | गदर 2 | 2023 | 525.45 |
7 | दंगल | 2016 | 387.38 |
8 | संजू | 2018 | 342.53 |
9 | पीके | 2014 | 340.80 |
10 | टाइगर जिंदा है | 2017 | 339.16 |
स्रोत: विकिपीडिया – हिंदी फिल्मों की घरेलू नेट कमाई की सूची
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कलाकारों और निर्माताओं की प्रतिक्रियाएं-
शाम कौशल (विक्की कौशल के पिता और प्रसिद्ध एक्शन निर्देशक) ने सोशल मीडिया पर लिखा:
“600 NOT OUT, छावा ने ₹600 करोड़ का आंकड़ा पार किया। यह फिल्म तीसरी है जिसने यह मील का पत्थर हासिल किया है। ALL-TIME BLOCKBUSTER। भगवान और सभी का धन्यवाद।”रश्मिका मंदाना ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:
“आप हमेशा हमें खुश करते हैं।”
फिल्म की विशेषताएं-
- कहानी: फिल्म छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है, जो छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र थे।
- संगीत: ए.आर. रहमान का संगीत और इरशाद कामिल के गीतों ने फिल्म को और भी प्रभावशाली बनाया है।
- निर्देशन: लक्ष्मण उटेकर ने फिल्म का निर्देशन किया है, जो ‘लुका छुपी’ और ‘मिमी’ जैसी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं।
‘छावा’ ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया है, बल्कि यह दर्शकों के दिलों में भी अपनी जगह बना चुकी है। इसकी सफलता ने यह साबित कर दिया है कि एक अच्छी कहानी, मजबूत निर्देशन और उत्कृष्ट अभिनय के साथ कोई भी फिल्म बड़ी हिट बन सकती है, चाहे वह किसी फ्रेंचाइज़ी का हिस्सा हो या नहीं।
फिल्म ‘छावा’ की कहानी – इतिहास के संदर्भ में
फिल्म ‘छावा’ छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है। यह फिल्म उनके संघर्ष, बलिदान, वीरता और धर्म के प्रति अटूट निष्ठा को दर्शाती है। छत्रपति संभाजी महाराज मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपति थे और उन्होंने मुगल सम्राट औरंगज़ेब के खिलाफ वीरता से संघर्ष किया।
इतिहासिक पृष्ठभूमि:
छत्रपति संभाजी महाराज का जन्म 14 मई 1657 को हुआ था। वे शिवाजी महाराज और सईबाई भोंसले के पुत्र थे। बचपन से ही वे बुद्धिमान, बहुभाषाविद और वीर योद्धा थे। उन्होंने संस्कृत, मराठी, फारसी और हिंदी समेत कई भाषाओं में गहरी पकड़ बनाई। अपने पिता की मृत्यु के बाद 1681 में वे मराठा साम्राज्य के शासक बने।
फिल्म की कहानी:
फिल्म ‘छावा’ का नाम ही संकेत करता है कि यह एक “शेर के बेटे” की कहानी है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे संभाजी महाराज ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया और मुगलों के खिलाफ निर्णायक युद्ध लड़े।
फिल्म में उनके युवावस्था से लेकर उनके बलिदान तक की यात्रा को दिखाया गया है। एक ओर जहाँ वे एक सशक्त राजा, रणनीतिकार और योद्धा के रूप में सामने आते हैं, वहीं दूसरी ओर एक संवेदनशील पुत्र, पति और राष्ट्रभक्त के रूप में भी उनके किरदार को गहराई से चित्रित किया गया है।
मुख्य ऐतिहासिक घटनाएं जो फिल्म में शामिल हैं:
राज्याभिषेक और सत्ता ग्रहण – शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद संभाजी महाराज ने अपने सौतेले भाई राजाराम से सत्ता लेकर मराठा साम्राज्य की बागडोर संभाली।
औरंगज़ेब के साथ संघर्ष – मुगल सम्राट औरंगज़ेब ने दक्षिण भारत में अपना साम्राज्य फैलाने की कोशिश की, लेकिन संभाजी महाराज ने डटकर मुकाबला किया।
गोपनीय रणनीतियाँ और युद्ध कौशल – फिल्म में उनके युद्ध कौशल, गुप्त संदेश प्रणाली और साहसी अभियानों को भी प्रमुखता से दिखाया गया है।
गिरफ्तारी और बलिदान – 1689 में उन्हें मुगलों ने धोखे से पकड़ लिया। औरंगज़ेब ने उन्हें इस्लाम कबूल करने को कहा लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। इसके बाद उन्हें भीषण यातनाएं दी गईं और वीरगति प्राप्त हुई।
फिल्म ‘छावा’ केवल एक ऐतिहासिक गाथा नहीं, बल्कि यह एक प्रेरणास्रोत है जो आज की पीढ़ी को अपने इतिहास, संस्कृति और अस्मिता से जोड़ती है। छत्रपति संभाजी महाराज का जीवन बताता है कि देश और धर्म के लिए बलिदान देने वाले वीर कभी मरते नहीं, वे युगों तक अमर रहते हैं।
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