1.अमेरिका ने चीन को छोड़कर सभी देशों पर टैरिफ रोक लगाई
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 90 दिनों के लिए अधिकांश देशों पर लगे उच्च टैरिफ को रोक दिया है, लेकिन चीन पर टैरिफ 125% तक बढ़ा दिया गया है। यह कदम अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध को और तीव्र करता है। ट्रंप का यह फैसला चीन की “अनुचित व्यापार नीतियों” के खिलाफ एक प्रतिशोधी कार्रवाई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है।
“यह कदम PLI (Production Linked Incentive) योजना के पूरक है, लेकिन मध्यम वर्ग के लिए महँगाई बढ़ा सकता है।”
— डॉ. अरुण कुमार, अर्थशास्त्री, JNU
- प्रमुख बदलाव:
- सेमीकंडक्टर्स पर शुल्क 10% → 18%
- सोलर पैनल कॉम्पोनेंट्स पर शुल्क में छूट (20% → 12%)
2. राजेश उन्नी को राष्ट्रीय समुद्री वरुण पुरस्कार से सम्मानित
सिनर्जी मरीन ग्रुप के संस्थापक राजेश उन्नी को 62वें राष्ट्रीय समुद्री दिवस (5 अप्रैल 2025) पर राष्ट्रीय समुद्री वरुण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार भारत के समुद्री उद्योग में सर्वोच्च व्यक्तिगत सम्मान है, जो डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ शिपिंग (DGS) द्वारा दिया जाता है। उन्नी को यह सम्मान भारतीय शिपिंग क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए दिया गया। उन्होंने समुद्री लॉजिस्टिक्स और पोत प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
3. DDLJ का स्टैच्यू लंदन के लीसेस्टर स्क्वायर में लगेगा
शाहरुख खान और काजोल की ऐतिहासिक फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ (DDLJ) को लंदन के लीसेस्टर स्क्वायर में एक कांस्य प्रतिमा के रूप में स्थापित किया जाएगा। यह पहली भारतीय फिल्म होगी, जिसका स्टैच्यू ‘सीन्स इन द स्क्वायर’ में लगेगा। इसकी घोषणा हार्ट ऑफ लंदन बिजनेस अलायंस ने की है। यह प्रतिमा फिल्म के 30 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 20 अक्टूबर 2025 को अनावरित की जाएगी। DDLJ ने हिंदी सिनेमा में एक नया मानक स्थापित किया था और यह सम्मान भारतीय सिनेमा की वैश्विक पहचान को और मजबूत करता है।
4. भारत में बेरोजगारी दर घटकर 4.9% हुई
नवीनतम PLFS (Periodic Labour Force Survey) रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बेरोजगारी दर 2023 के 5.0% से घटकर 2024 में 4.9% हो गई है। यह डेटा सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है। हालाँकि, ग्रामीण-शहरी अंतर और लिंग आधारित असमानताएँ अभी भी बनी हुई हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही रोजगार योजनाओं और स्टार्टअप इकोसिस्टम के विस्तार को इस सुधार का प्रमुख कारण माना जा रहा है।
5.Juspay भारत का पहला 2025 यूनिकॉर्न, $60 मिलियन फंडिंग प्राप्त
बेंगलुरु स्थित पेमेंट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी Juspay ने 2025 का भारत का पहला यूनिकॉर्न बनने का गौरव प्राप्त किया है। कंपनी ने सीरीज़ D फंडिंग राउंड में $60 मिलियन (लगभग ₹500 करोड़) जुटाए हैं। इस निवेश दौर का नेतृत्व Kedaara Capital ने किया, जिसमें मौजूदा निवेशकों SoftBank और Accel ने भी भाग लिया।
हालाँकि पहले $150 मिलियन जुटाने का अनुमान था, लेकिन इससे कम राशि प्राप्त होने के बावजूद Juspay का मूल्यांकन $1 बिलियन के पार पहुँच गया है — जो कि भारत के फिनटेक क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। अब Juspay का अगला लक्ष्य है:
- AI तकनीकों के ज़रिए अपने टेक्नोलॉजी स्टैक को और मज़बूत बनाना,
- और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में विस्तार करना।
6. गैबॉन में तख्तापलट नेता ब्राइस ओलिगुई नए राष्ट्रपति बन सकते हैं
मध्य अफ्रीकी देश गैबॉन में 12 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं, जिसमें सैन्य तख्तापलट के नेता ब्राइस ओलिगुई नगुएमा के जीतने की संभावना है। अगस्त 2023 में हुए तख्तापलट के बाद यह पहला चुनाव है, जो देश को सैन्य शासन से नागरिक शासन की ओर ले जाएगा। नगुएमा ने बॉन्गो परिवार के 55 साल के शासन को समाप्त किया था और अब “जनता का उम्मीदवार” बनकर चुनाव लड़ रहे हैं।
7. भारत का पहला एजेंटिक एआई हैकाथॉन आयोजित
Techvantage.ai और CrewAI के सहयोग से भारत का पहला एजेंटिक एआई हैकाथॉन आयोजित किया गया, जिसमें 1,500+ प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इसका उद्देश्य BFSI सेक्टर (बैंकिंग, वित्त, बीमा) के लिए स्वायत्त AI समाधान विकसित करना था, जैसे फ्रॉड डिटेक्शन और क्रेडिट स्कोरिंग। यह आयोजन केरल के टेक्नोपार्क में समाप्त हुआ और भारत में AI इनोवेशन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
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8. मुंबई में सबसे धीमी फिक्स्ड ब्रॉडबैंड स्पीड: Ookla
Ookla की ग्लोबल स्पीडटेस्ट रैंकिंग (फरवरी 2025) के अनुसार, मुंबई भारतीय शहरों में सबसे धीमी फिक्स्ड ब्रॉडबैंड स्पीड (123वें स्थान) वाला शहर बन गया है, जबकि दिल्ली 89वें स्थान पर है। विशेषज्ञों के अनुसार, उच्च जनसंख्या घनत्व और इंफ्रास्ट्रक्चर चुनौतियाँ इसकी प्रमुख वजह हैं। इससे भारत की वैश्विक रैंकिंग 94 से 95 पर खिसक गई है।
9. भारत ने फ्रांस से 26 राफेल-M विमानों की खरीद को मंजूरी दी
भारत सरकार ने ₹63,000 करोड़ (7 अरब डॉलर) के 26 राफेल-M नौसैनिक लड़ाकू विमानों की खरीद को मंजूरी दे दी है। यह सौदा INS विक्रांत विमानवाहक पोत के लिए किया गया है, जिसमें 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर ट्रेनर जेट शामिल हैं। इससे भारतीय नौसेना की वायु शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यह समझौता भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करता है।
“UPSC मुख्य परीक्षा और PSC मुख्य परीक्षा के लिए लिखित प्रश्न”
टैरिफ क्या हैं, देश इनका उपयोग क्यों करते हैं, और इसका भुगतान कौन करता है
टैरिफ एक ऐसा कर है जो सरकार दूसरे देशों से आयातित वस्तुओं और सेवाओं पर लगाती है। जब ये उत्पाद अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार करते हैं, तो उन्हें आयात करने वाले व्यवसाय को आयात करने वाले देश की सरकार को यह कर चुकाना पड़ता है। टैरिफ आमतौर पर आयातित वस्तुओं के कुल मूल्य के प्रतिशत के रूप में लागू होते हैं। टैरिफ के इस रूप को एड वैलोरम टैरिफ कहा जाता है। वैकल्पिक रूप से, टैरिफ को उत्पाद की प्रति इकाई एक निश्चित राशि के रूप में भी लगाया जा सकता है।
देश टैरिफ क्यों लगाते हैं?
सरकारें कई रणनीतिक और आर्थिक कारणों से टैरिफ का इस्तेमाल करती हैं। मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं:
1.घरेलू उद्योगों की सुरक्षा
टैरिफ़ आयातित वस्तुओं को स्थानीय रूप से उत्पादित वस्तुओं की तुलना में अधिक महंगा बनाते हैं। यह मूल्य अंतर उपभोक्ताओं को घरेलू उत्पाद खरीदने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे स्थानीय निर्माताओं को विदेशी प्रतिस्पर्धा से सुरक्षा मिलती है।
2.सरकारी राजस्व उत्पन्न करना
सीमित कराधान ढांचे वाले देशों में, टैरिफ सरकारी आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। प्रत्येक आयातित वस्तु इन करों के माध्यम से राष्ट्रीय बजट में योगदान करती है।
3.व्यापार असंतुलन को संबोधित करना
टैरिफ़ आयात को कम आकर्षक बनाकर व्यापार घाटे को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं और इस तरह घरेलू स्तर पर निर्मित वस्तुओं की खपत को बढ़ावा दे सकते हैं। इससे स्थानीय उत्पादन में वृद्धि हो सकती है और निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है।
4.रणनीतिक या राजनीतिक लक्ष्य
कभी-कभी टैरिफ का इस्तेमाल व्यापार वार्ता में या अनुचित व्यापार प्रथाओं का जवाब देने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, देश प्रतिशोध के रूप में या किसी अन्य देश पर नीति बदलने के लिए दबाव डालने के लिए टैरिफ लगा सकते हैं।
5.टैरिफ के प्रकार
टैरिफ के तीन मुख्य प्रकार हैं, जिनमें से प्रत्येक में कर की गणना का तरीका अलग-अलग होता है:
यथामूल्य टैरिफ
इनकी गणना उत्पाद के मूल्य के एक निश्चित प्रतिशत के रूप में की जाती है। उदाहरण के लिए, एक हज़ार रुपये मूल्य के उत्पाद पर 10 प्रतिशत टैरिफ का मतलब है कि आयातक को कर के रूप में 100 रुपये का भुगतान करना होगा।
विशिष्ट टैरिफ
इसमें आयातित वस्तु की प्रति इकाई एक निश्चित राशि ली जाती है, चाहे उसका मूल्य कुछ भी हो। उदाहरण के लिए, आयातित चावल पर प्रति किलोग्राम पचास रुपये का शुल्क।
मिश्रित टैरिफ
इनमें मूल्यानुसार और विशिष्ट शुल्क दोनों शामिल हैं। उदाहरण के लिए, किसी उत्पाद पर उसके मूल्य का पाँच प्रतिशत कर लगाया जा सकता है और साथ ही प्रति इकाई बीस रुपये का निश्चित शुल्क भी लगाया जा सकता है।
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अंततः टैरिफ का भुगतान कौन करता है?
हालांकि आयातक सरकार को टैरिफ का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन वास्तविक लागत अक्सर आपूर्ति श्रृंखला के अन्य भागों में चली जाती है। यहाँ बताया गया है कि बोझ आम तौर पर कैसे वितरित किया जाता है:
उपभोक्ता: अक्सर टैरिफ की लागत उत्पाद की कीमत में जोड़ दी जाती है। नतीजतन, उपभोक्ताओं को आयातित वस्तुओं के लिए अधिक भुगतान करना पड़ता है।
व्यवसाय: कुछ कंपनियां प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए टैरिफ का कुछ हिस्सा वहन कर सकती हैं, जिससे उनके लाभ मार्जिन में कमी आ सकती है।
निर्यातक: विदेशी बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए, कुछ विदेशी आपूर्तिकर्ता अपनी कीमतें कम कर सकते हैं, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से टैरिफ लागत का कुछ हिस्सा उन पर ही पड़ता है।
घरेलू उद्योग: दीर्घावधि में, स्थानीय उत्पादकों को विदेशी प्रतिस्पर्धा में कमी से लाभ हो सकता है, तथा संभवतः उन्हें बाजार में अधिक हिस्सा मिल सकता है।
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