डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर जयंती 2025: भारतीय संविधान निर्माता

डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती – समानता और न्याय के प्रतीक का जीवन परिचय एवं विरासत

डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर जयंती 2025

  • SHUBHAM SONI 
  • PUBLISHED ON-14/04/2025

डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर (14 अप्रैल 1891 – 6 दिसंबर 1956) भारत के संविधान निर्माता, समाज सुधारक, अर्थशास्त्री और दलित अधिकारों के प्रखर पैरोकार थे। उनका जन्मदिवस 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती या भीम जयंती के रूप में पूरे भारत और विश्वभर में मनाया जाता है। यह दिन सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के प्रति उनके अद्वितीय योगदान को समर्पित है।

डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर जयंती का इतिहास

1. पहली अंबेडकर जयंती (1928)

  • स्थान: पुणे, महाराष्ट्र
  • आयोजक: जनार्दन सदाशिव रणपिसे (सामाजिक कार्यकर्ता)
  • महत्व: यह आयोजन डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर के जन्मदिन को समर्पित था, जब वे अभी संविधान सभा के सदस्य नहीं बने थे, लेकिन दलित अधिकारों के लिए उनकी आवाज़ मुखर हो चुकी थी।

2. स्वतंत्रता पूर्व महत्व

  • डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर ने 1927 में महाड़ सत्याग्रह चलाया, जहाँ दलितों ने सार्वजनिक तालाब से पानी पीने का अधिकार माँगा।
  • 1932 के पूना पैक्ट के माध्यम से उन्होंने दलितों के लिए विधानसभा में आरक्षण की व्यवस्था करवाई।

3. मरणोपरांत सम्मान (1990)

  • भारत रत्न: भारत सरकार ने 1990 में डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से विभूषित किया।
  • संविधान दिवस: 26 नवंबर को संविधान लागू होने के दिन को अंबेडकर के योगदान को याद करते हुए “संविधान दिवस” घोषित किया गया।

Also Read- निधि कैस्था बनीं Lamborghini इंडिया की नई हेड

अंबेडकर जयंती का महत्व

1. संविधान निर्माण में योगदान

  • डॉ. अंबेडकर भारतीय संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे।
  • उन्होंने धर्मनिरपेक्षता, समानता और सामाजिक न्याय को संविधान की मूल भावना बनाया।
  • अनुच्छेद 14-18 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 23-24 (शोषण के विरुद्ध अधिकार) जैसे प्रावधान उनकी दूरदर्शिता को दर्शाते हैं।

2. सामाजिक सुधार आंदोलन

  • जाति व्यवस्था का विरोध: अंबेडकर ने “जाति का उच्छेद” (Annihilation of Caste) नामक पुस्तक लिखकर हिंदू धर्म की जातिगत असमानताओं को चुनौती दी।
  • धर्म परिवर्तन: 1956 में उन्होंने नागपुर में 5 लाख अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया, क्योंकि बौद्ध धर्म समानता और तर्क पर आधारित है।

3. शिक्षा एवं आर्थिक सशक्तिकरण

  • उनका नारा था— “शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो!”
  • महिला अधिकार: हिंदू कोड बिल (1956) के माध्यम से उन्होंने महिलाओं को संपत्ति और तलाक का अधिकार दिलवाया।

अंबेडकर जयंती कैसे मनाई जाती है?

1. राष्ट्रव्यापी समारोह

  • दिल्ली: संसद भवन और अंबेडकर स्मारक पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री द्वारा श्रद्धांजलि।
  • मुंबई: चैत्यभूमि (अंबेडकर समाधि स्थल) पर लाखों लोगों की भीड़।
  • नागपुर: दीक्षाभूमि में बौद्ध धर्म अपनाने की वर्षगांठ पर विशेष कार्यक्रम।

2. सांस्कृतिक कार्यक्रम

  • जुलूस: “जय भीम” के नारों के साथ रैलियाँ निकाली जाती हैं।
  • प्रतियोगिताएँ: निबंध लेखन, भाषण और चित्रकला प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं।

3. शैक्षणिक संस्थानों में आयोजन

  • विश्वविद्यालयों में अंबेडकर के विचारों पर सेमिनार।
  • सरकारी कार्यालयों में उनके उद्धरणों और संवैधानिक मूल्यों पर चर्चा।

वैश्विक स्तर पर अंबेडकर जयंती

1. संयुक्त राष्ट्र में मान्यता

  • 2016, 2017 और 2018 में संयुक्त राष्ट्र ने अंबेडकर जयंती को “सामाजिक न्याय दिवस” के रूप में मनाया।

2. प्रवासी भारतीयों द्वारा उत्सव

  • लंदन, न्यूयॉर्क, टोरंटो जैसे शहरों में भारतीय समुदाय द्वारा सेमिनार और सांस्कृतिक कार्यक्रम।

 अंबेडकर की प्रासंगिकता आज भी क्यों?

डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर  ने भारत को एक ऐसा संविधान दिया, जो न्याय, स्वतंत्रता और बंधुत्व पर आधारित है। आज भी दलित अधिकार, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के क्षेत्र में उनके विचार मार्गदर्शक हैं। अंबेडकर जयंती न सिर्फ एक उत्सव है, बल्कि सामाजिक बदलाव का प्रतीक भी है।

“मैं किसी समुदाय की प्रगति को उस डिग्री से मापता हूँ, जिस तक महिलाएँ उन्नति कर पाई हैं।” — डॉ. बी.आर. अंबेडकर

डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर के प्रमुख योगदान और उपलब्धियाँ

1. श्रमिक अधिकारों के लिए संघर्ष

डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर ने भारतीय श्रमिक वर्ग के हितों के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए:

  • 8 घंटे कार्यदिवस की अवधारणा को भारत में लागू करवाया
  • मजदूर संघ अधिनियम (1926) के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका
  • बॉम्बे इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट (1938) का मसौदा तैयार किया
  • भारतीय श्रम संहिता के विकास में योगदान दिया

2. महिला अधिकारों के लिए कार्य

डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकरने महिला सशक्तिकरण के लिए ऐतिहासिक कार्य किए:

  • हिंदू कोड बिल (1951-56) के माध्यम से:
  • महिलाओं को संपत्ति का अधिकार
  • तलाक का कानूनी अधिकार
  • विरासत में समान हिस्सेदारी
  • बाल विवाह निषेध के लिए आवाज उठाई
  • महिला शिक्षा को प्रोत्साहित किया

3. आर्थिक सुधार और योजनाएँ

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका (1935)
  • वित्तीय संघवाद की अवधारणा को बढ़ावा दिया
  • जल संसाधन योजनाओं का विकास:
  • दामोदर घाटी परियोजना
  • हीराकुंड बांध परियोजना
  • सोन नदी घाटी परियोजना

4. शिक्षा क्षेत्र में योगदान

  • मुक्त शिक्षा की वकालत की
  • दिल्ली विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विकास में योगदान
  • शैक्षिक अवसरों की समानता पर जोर दिया

5. राजनीतिक सुधार

  • लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की अवधारणा को बढ़ावा
  • संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष (1947-50)
  • मूल अधिकारों और राज्य के नीति निदेशक तत्वों का निर्माण

6. धार्मिक सुधार

  • बौद्ध धर्म अपनाने का ऐतिहासिक निर्णय (1956)
  • नवबौद्ध आंदोलन की शुरुआत
  • धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को संवैधानिक मान्यता दिलवाई

7. प्रेस की स्वतंत्रता

  • संविधान में प्रेस की स्वतंत्रता को सुनिश्चित किया
  • मूकनायक और बहिष्कृत भारत जैसे समाचार पत्रों की स्थापना

8. कृषि सुधार

  • जमींदारी प्रथा के उन्मूलन की वकालत
  • किसान क्रेडिट सिस्टम का विकास
  • सहकारी खेती को प्रोत्साहन

9. अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में योगदान

  • भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में लंदन गोलमेज सम्मेलन (1930-32) में भाग
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) में भारत का प्रतिनिधित्व

10. सामाजिक एकता के प्रयास

  • अखिल भारतीय दलित वर्ग संघ की स्थापना (1924)
  • समता सैनिक दल का गठन
  • सामाजिक समरसता के लिए निरंतर प्रयास

डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर का योगदान केवल संविधान निर्माण तक सीमित नहीं था। उन्होंने भारत के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और शैक्षणिक ढाँचे को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। उनके विचार और सिद्धांत आज भी भारतीय लोकतंत्र की नींव हैं।

Leave a Comment