Article 370 एक बार फिर ख़बरों में
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में Article 370 पर हाल ही में हुए सत्र के दौरान तीखी बहस और हंगामे की स्थिति उत्पन्न हुई। यह विवाद तब शुरू हुआ जब पीडीपी विधायक वहीद पारा ने एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें Article 370 के निरस्त करने का विरोध किया गया और जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति की बहाली का आह्वान किया गया। इस प्रस्ताव को बीजेपी ने कड़े विरोध के साथ नकारा और इसे वापस लेने की मांग की। इस बीच, खुरशीद अहमद शेख ने कार्यवाही के दौरान Article 370 पर एक बैनर भी दिखाया, जिससे हंगामा बढ़ गया और भाजपा विधायक सुनील शर्मा ने तीखी प्रतिक्रिया दी, जिसके बाद सदन में हाथापाई तक की स्थिति आ गई।
विधानसभा ने इस सत्र में एक प्रस्ताव भी पारित किया, जिसमें केंद्र से अनुरोध किया गया कि जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को बहाल करने के लिए एक संवैधानिक तंत्र तैयार किया जाए। इस प्रस्ताव का समर्थन घाटी में कई दलों ने किया, जबकि भाजपा ने इसका कड़ा विरोध किया। अनुच्छेद 370 को लेकर इस तरह की बहसें जम्मू-कश्मीर में आज भी संवेदनशील मुद्दा बनी हुई हैं, खासकर 2019 में इसके निरस्तीकरण के बाद से, जब राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित किया गया था
अनुच्छेद 370 क्या है, विस्तृत विवरण
अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान का एक विशेष प्रावधान था, जिसने जम्मू और कश्मीर (J&K) राज्य को विशेष स्वायत्तता प्रदान की थी। इस अनुच्छेद ने जम्मू-कश्मीर को भारतीय संघ से एक विशिष्ट दर्जा दिया, जिससे इस क्षेत्र के प्रशासनिक, कानूनी और राजनीतिक ढांचे में विशेष अधिकार थे। नीचे इस अनुच्छेद के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है:
1. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- 1947 में विभाजन: जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ, तो जम्मू-कश्मीर एक यूएन के तहत आत्मनिर्णय के लिए प्रस्तुत हुआ। महाराजा हरि सिंह ने भारत का समर्थन करने का निर्णय लिया, जिससे यह राज्य भारतीय संघ में शामिल हो गया।
- भारतीय संविधान में समावेशन: 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान को लागू किया गया। संविधान के प्रारंभिक मसौदे में जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष प्रावधान शामिल नहीं थे। इसलिए, जम्मू-कश्मीर को भारतीय संविधान के तहत पूरी तरह से शामिल करने के लिए संविधान संशोधन की आवश्यकता पड़ी।
2. Article 370 का निर्माण
- 1950 का संविधान संशोधन: जम्मू-कश्मीर को भारतीय संविधान में शामिल करने के लिए 1950 में संविधान संशोधन की गई। इस संशोधन के तहत अनुच्छेद 370 जोड़ा गया, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष स्वायत्तता प्रदान की।
- स्वायत्तता के मुख्य बिंदु:
- स्थानीय संविधान: जम्मू-कश्मीर का अपना संविधान था, जो राज्य के आंतरिक मामलों को नियंत्रित करता था।
- कानूनी स्वतंत्रता: राज्य को अपने कानून बनाने की स्वतंत्रता थी, सिवाय रक्षा, विदेश नीति, और संचार के।
- भारतीय संसद के अधिकार: भारतीय संसद को राज्य के संविधान में बदलाव करने का अधिकार था, लेकिन इसे राज्य सरकार की स्वीकृति की आवश्यकता थी।
3. विशेष स्वायत्तता के लाभ
- आर्थिक और सामाजिक नीतियाँ: राज्य को अपनी आर्थिक नीतियाँ और सामाजिक कार्यक्रम निर्धारित करने की स्वतंत्रता थी।
- शासनिक अधिकार: राज्य सरकार को अपनी प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित करने की स्वतंत्रता थी।
- विदेशी निवेश: बाहरी निवेश पर राज्य की अपनी नीतियाँ थीं, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला।
4. Article 370 का निरस्तीकरण
- 5 अगस्त 2019 का ऐलान: भारतीय सरकार ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का निर्णय लिया। यह निर्णय राष्ट्रपति शासन के तहत किया गया था।
- परिणाम:
- विशेष स्वायत्तता का अंत: जम्मू-कश्मीर की विशेष स्वायत्तता समाप्त हो गई।
- राज्य का पुनर्गठन: जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया – जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख।
- भारतीय संविधान का पूर्ण लागू होना: अब जम्मू-कश्मीर भी भारतीय संविधान के सभी प्रावधानों के अधीन है।
5. विवाद और प्रभाव
- राजनीतिक विवाद: अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण ने भारत के भीतर और पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ा दिया। यह कदम भारतीय राजनीति में गहन बहस का विषय रहा।
- सामाजिक और आर्थिक प्रभाव:
- आवास कानून: नए नागरिकों को जमकर जमीन खरीदने की अनुमति दी गई, जिससे स्थानीय लोगों की जमीन की कीमतों पर प्रभाव पड़ा।
- आर्थिक विकास: सरकार ने क्षेत्र के विकास के लिए विभिन्न योजनाएँ और निवेश के अवसर बढ़ाए हैं।
- सुरक्षा स्थिति: जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति में बदलाव आया, लेकिन क्षेत्र में तनाव बना हुआ है।
6. वर्तमान स्थिति
- केंद्र सरकार की नीतियाँ: केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए विभिन्न योजनाएँ लागू की हैं, जैसे बुनियादी ढांचे का विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार।
- राजनीतिक स्थिति: राज्य में अब विभिन्न राजनीतिक दलों की भूमिका बदल गई है, और नए केंद्र शासित प्रदेश के तहत प्रशासनिक ढांचा स्थापित किया गया है।
- सामाजिक बदलाव: विशेष स्वायत्तता के हटने से सामाजिक और आर्थिक नीतियों में व्यापक परिवर्तन आया है, जिससे लोगों के जीवन पर भी प्रभाव पड़ा है।
निष्कर्ष
Article 370 ने जम्मू-कश्मीर को भारतीय संघ में एक विशेष स्थान दिया था, जिससे राज्य को महत्वपूर्ण स्वायत्तता प्राप्त हुई थी। 2019 में इसे निरस्त करने के बाद, राज्य का प्रशासनिक ढांचा बदल गया है, और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया है। यह कदम भारतीय राजनीति, समाज और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालता रहा है और भविष्य में भी इसके प्रभावों को महसूस किया जाएगा।
DATE -07/11/2024 SHUBHAM SONI