FPI ने अप्रैल में भारतीय शेयर बाजार से निकाले 31,575 करोड़

विदेशी निवेशकों ने अप्रैल में भारतीय शेयर बाजार से निकाले 31,575 करोड़ रुपये

FPI ने अप्रैल में भारतीय शेयर बाजार से निकाले 31,575 करोड़

FPI निकासी की बड़ी खबर

अप्रैल 2025 के पहले 11 दिनों में, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने भारतीय शेयर बाजार से 31,575 करोड़ रुपये की भारी निकासी की है। यह प्रवृत्ति जनवरी-फरवरी के बाद जारी है, जब FPIs ने क्रमशः 78,027 करोड़ और 34,574 करोड़ रुपये निकाले थे। इसकी मुख्य वजह अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ (आयात शुल्क) और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता को माना जा रहा है।

1. Foreign Portfolio Investment निकासी का विस्तृत विश्लेषण

कितना पैसा निकाला गया?

  • अप्रैल 1-11, 2025: ₹31,575 करोड़ (इक्विटी मार्केट से)
  • 2025 का कुल निकासी (अब तक): ₹1.48 लाख करोड़

 

  • डेट मार्केट से भी निकासी:
  • डेट जनरल लिमिट: ₹4,077 करोड़
  • वीआरआर (VRR) डेट: ₹6,633 करोड़

मार्च में थी थोड़ी राहत

मार्च के अंतिम सप्ताह (21-28 मार्च) में Foreign Portfolio Investment ने ₹30,927 करोड़ का निवेश किया था, जिससे मार्च का कुल निकासी घटकर ₹3,973 करोड़ रह गया था। लेकिन अप्रैल में फिर से बिकवाली का दौर शुरू हो गया।

2. Foreign Portfolio Investment निकासी की मुख्य वजहें

(A) अमेरिका का टैरिफ युद्ध और वैश्विक अस्थिरता

  • अमेरिका ने भारत, चीन और यूरोपीय देशों पर नए आयात शुल्क लगाए हैं, जिससे वैश्विक व्यापार तनाव बढ़ा है।
  • पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की “रिसिप्रोकल टैरिफ” नीति के कारण बाजारों में उथल-पुथल है।
  • FPIs जोखिम से बचाव (Risk-Off Mode) के तहत उभरते बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं।

(B) भारतीय शेयर बाजार में उच्च वैल्युएशन

  • Nifty और Sensex पहले ही ऐतिहासिक ऊंचाई पर हैं, जिससे विदेशी निवेशकों को लाभ बुक करने का मौका मिला।
  • अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि के कारण FPIs वहां निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं।

(C) चीन के बाजारों में गिरावट का प्रभाव

  • चीन के शेयर बाजार में लगातार गिरावट से एशियाई बाजार प्रभावित हुए हैं।
  • Foreign Portfolio Investment भारत जैसे बाजारों से निकलकर सुरक्षित निवेश (Safe Havens) जैसे गोल्ड और USD की ओर रुख कर रहे हैं।

 

3. विशेषज्ञों की राय: क्या भारत के लिए है चिंता की बात?

 

1.गेओजिट फाइनेंशियल सर्विसेज के सीआईएस वी.के. विजयकुमार का कहना है:

“अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर के कारण वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल है, जिसका असर भारत पर भी पड़ रहा है। हालांकि, मध्यम अवधि में FPIs भारत लौट सकते हैं, क्योंकि अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत की विकास दर (6%+) और कॉर्पोरेट आय बेहतर रहने की उम्मीद है।”

2.वेंचुरा सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड विनीत बोलिंजकर का विश्लेषण:

“यह निकासी अस्थायी है। भारत की मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिति मजबूत है—महंगाई नियंत्रण में है, जीडीपी ग्रोथ अच्छी है, और घरेलू निवेशक (DIIs/म्यूचुअल फंड) बाजार को सपोर्ट कर रहे हैं।”

4. घरेलू निवेशक (DIIs) क्या कर रहे हैं?

FPIs के उलट, घरेलू संस्थागत निवेशक (DIIs) ने अप्रैल में ₹22,000+ करोड़ का निवेश किया है। यह दर्शाता है कि:

  • भारतीय निवेशकों को दीर्घकालिक विकास में भरोसा है।
  • म्यूचुअल फंड्स (SIPs) और पेंशन फंड्स का प्रवाह जारी है।

5. भविष्य की संभावनाएं: कब लौटेंगे FPIs?

(A) अमेरिकी चुनावों का प्रभाव

  • 2024 के अमेरिकी चुनावों के बाद टैरिफ नीतियों में बदलाव संभव है।
  • यदि ट्रम्प फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो ट्रेड वॉर और बढ़ सकता है।

(B) भारत का आर्थिक प्रदर्शन

  • FY26 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6%+ रहने का अनुमान है।
  • कॉर्पोरेट आय (Q4 Results) बेहतर आने से FPIs का विश्वास बढ़ सकता है।

(C) RBI और सरकार की भूमिका

  • RBI द्वारा ब्याज दरों में कटौती से निवेशकों को राहत मिल सकती है।
  • सरकार विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए नई नीतियाँ ला सकती है।

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क्या यह समय चिंता करने का है?

हालांकि FPI निकासी अल्पकालिक दबाव बना सकती है, लेकिन भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद और घरेलू निवेशकों का समर्थन बाजार को स्थिर रखेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 के दूसरे हाफ में FPIs की वापसी हो सकती है, खासकर अगर वैश्विक हालात सुधरते हैं।

  • 📌 निवेशकों के लिए सलाह:
  • लॉन्ग-टर्म पोजीशन बनाए रखें।
  • सेक्टोरल रोटेशन पर ध्यान दें (IT, Pharma, Infrastructure अच्छे विकल्प हो सकते हैं)।
  • FPI ट्रेंड पर नजर रखें, लेकिन घबराएं नहीं
  • क्या आपको लगता है कि FPIs जल्द ही भारतीय बाजारों में वापसी करेंगे? कमेंट में अपनी राय दें!

Foreign Portfolio Investment का मतलब और परिभाषा

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (Foreign Portfolio Investment – FPI) का मतलब है विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड या अन्य वित्तीय संपत्तियों में किया गया निवेश। यह FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) से अलग होता है क्योंकि:

  • ✅ FPI में निवेशक कंपनी के प्रबंधन में हिस्सेदारी नहीं लेते
  • ✅ यह अल्पकालिक निवेश होता है (कुछ दिनों से लेकर कुछ वर्षों तक)
  • ✅ निवेशक जब चाहें अपना पैसा निकाल सकते हैं

FPI के प्रमुख प्रकार

  • शेयर बाजार निवेश (भारतीय कंपनियों के स्टॉक खरीदना)
  • डेट इंस्ट्रूमेंट्स (सरकारी बॉन्ड, कॉर्पोरेट बॉन्ड)
  • म्यूचुअल फंड यूनिट्स
  • वाणिज्यिक पत्र (Commercial Papers)

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Foreign Portfolio Investment कैसे काम करता है?

  • विदेशी निवेशक SEBI पंजीकृत FPI के रूप में भारतीय बाजारों में निवेश करते हैं
  • वे भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों (BSE/NSE) के माध्यम से खरीद-बिक्री करते हैं
  • लाभ कमाने या नुकसान से बचने के लिए जल्दी पैसा निकाल सकते हैं

Foreign Portfolio Investment का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव:

  • बाजार में तरलता बढ़ती है
  • कंपनियों को पूंजी जुटाने में मदद मिलती है
  • रुपये की विनिमय दर मजबूत होती है

नकारात्मक प्रभाव:

  • अचानक FPI निकासी से बाजार में उतार-चढ़ाव आता है
  • रुपये का अवमूल्यन हो सकता है
  • छोटे निवेशकों को नुकसान हो सकता है

FPI और FDI में अंतर

पैरामीटरFPIFDI
निवेश की प्रकृतिअल्पकालिकदीर्घकालिक
नियंत्रणकोई प्रबंधन नियंत्रण नहींकंपनी प्रबंधन में भागीदारी
निवेश विकल्पशेयर, बॉन्ड आदिकंपनी की भौतिक संपत्ति
निकासी आसानीआसानमुश्किल

Foreign Portfolio Investment निवेश को प्रभावित करने वाले कारक

  1. वैश्विक आर्थिक स्थिति
  2. भारत की आर्थिक वृद्धि दर
  3. ब्याज दरों में अंतर
  4. राजनीतिक स्थिरता
  5. मुद्रा विनिमय दर में उतार-चढ़ाव

हाल के रुझान (2025)

  1. 2025 में FPIs ने भारतीय बाजारों से 1.48 लाख करोड़ रुपये निकाले
  2. मुख्य कारण: अमेरिकी टैरिफ नीतियाँ और वैश्विक अनिश्चितता
  3. विशेषज्ञों का मानना है कि स्थिति सुधरने पर FPIs वापस लौटेंगे

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