भारत-चीन संबंध: सहयोग का नया दौर

भारत-चीन संबंध: सहयोग का नया दौर

चीन और भारत, दोनों ही विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाएँ हैं और वैश्विक दक्षिण के महत्वपूर्ण सदस्य हैं। हाल ही में, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक संदेश भेजा, जिसमें उन्होंने दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। यह संदेश भारत और चीन के बीच कूटनीतिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर भेजा गया। इस संदेश में शी जिनपिंग ने कहा कि भारत और चीन दोनों आधुनिकीकरण के महत्वपूर्ण चरण में हैं, और इसलिए उनका सहयोग एक-दूसरे की सफलता में योगदान देगा।

कूटनीतिक वार्ता और व्यापारिक सहयोग

भारत और चीन के शीर्ष नेताओं ने एक-दूसरे को शुभकामनाएँ दीं। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने इस संबंध में कहा कि भारत और चीन को आपसी साझेदारी को प्राथमिकता देनी चाहिए और ‘ड्रैगन और हाथी’ का सहयोग ही दोनों देशों के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प होगा।

चीन और भारत के बीच व्यापारिक संबंध काफी मजबूत हैं। चीन, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और 2024 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 138.48 अरब डॉलर तक पहुँच गया। हालांकि, चीन के नए भारत में नियुक्त राजदूत, जू फेइहोंग ने कहा कि व्यापारिक संबंधों में कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि चीन भारत से अधिक उत्पादों के आयात को तैयार है, साथ ही भारतीय कंपनियों को चीन में व्यापार करने के लिए आमंत्रित किया।

उन्होंने यह आशा भी व्यक्त की कि भारत, चीनी कंपनियों के लिए अधिक अनुकूल व्यापारिक वातावरण तैयार करेगा, जिससे दोनों देशों को लाभ होगा।

सीमा प्रबंधन और कूटनीतिक प्रयास

भारत और चीन के बीच सीमा प्रबंधन को लेकर हाल ही में बीजिंग में एक बैठक हुई। इस बैठक में प्रभावी सीमा प्रबंधन और पारस्परिक सहयोग पर चर्चा की गई। दोनों देशों ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर सहमति व्यक्त की है। यह यात्रा 2020 से बंद थी, लेकिन अब इसे 2025 से पुनः शुरू करने की योजना बनाई गई है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने कहा कि यात्रा को लेकर आपसी सहमति बन चुकी है, लेकिन इसके संचालन से संबंधित अंतिम निर्णय अभी लंबित है।

वैश्विक परिदृश्य और भारत-चीन संबंधों का महत्व

चीन और भारत के बीच बढ़ते सहयोग का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘रिसीप्रोकल टैरिफ’ योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत अमेरिका चीन और भारत जैसे देशों पर उच्च टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है। इस संदर्भ में भारत और चीन का सहयोग वैश्विक व्यापार को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

भारत और चीन की सैन्य शक्ति

भारत और चीन दोनों ही एशिया की प्रमुख सैन्य शक्तियाँ हैं। दोनों देशों की सेनाएँ अपनी-अपनी ताकत के दम पर क्षेत्रीय और वैश्विक संतुलन बनाए रखने में सक्षम हैं।

चीन की सैन्य ताकत:

  • कुल सैनिक: लगभग 20 लाख सक्रिय सैनिक
  • परमाणु हथियार: 350 से अधिक
  • टैंक: 5000 से अधिक
  • वायु सेना: 3200 से अधिक सैन्य विमान
  • नेवी: 350 से अधिक युद्धपोत, जिनमें एयरक्राफ्ट कैरियर भी शामिल हैं

भारत की सैन्य ताकत:

  • कुल सैनिक: लगभग 14 लाख सक्रिय सैनिक
  • परमाणु हथियार: 160 से अधिक
  • टैंक: 4500 से अधिक
  • वायु सेना: 2200 से अधिक सैन्य विमान
  • नेवी: 295 से अधिक युद्धपोत

सैन्य अभ्यास और सहयोग

हालांकि भारत और चीन के बीच कई बार सीमा पर तनाव रहा है, लेकिन दोनों देश समय-समय पर कूटनीतिक और सैन्य वार्ता करते रहे हैं।

  • हैंड इन हैंड: यह भारत और चीन की सेनाओं के बीच एक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना है।
  • शांति स्थापना वार्ता: दोनों देशों के रक्षा अधिकारी नियमित रूप से मिलते हैं और सीमा विवादों को हल करने की रणनीति बनाते हैं।

चीन और भारत के बीच संबंध कई दशकों से जटिल रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में दोनों देशों ने व्यापार, कूटनीति और रक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। दोनों देशों की सरकारें इस बात को समझती हैं कि आपसी सहयोग से न केवल वे अपनी आर्थिक प्रगति को बढ़ावा दे सकते हैं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता भी सुनिश्चित कर सकते हैं।

चीन और भारत की बढ़ती साझेदारी, वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले वर्षों में दोनों देशों के संबंध किस दिशा में विकसित होते हैं।

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