- SHUBHAM SONI
- PUBLISHED ON-20/04/2025
NPA (Non-Performing Assets) का हिंदी में अर्थ है “गैर-निष्पादित परिसंपत्ति”। यह बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण शब्द है, जो ऋण (Loan) या उधार (Credit) से जुड़ी समस्याओं को दर्शाता है।
आज सिरोंज में सोने और चांदी की कीमतें
CITY | GOLD PRICES (WITH GST) 10 GRAMS | SILVER PRICES (WITH GST) PER KG |
SIRONJ | ₹98500 | ₹97900 |
यह चैनल उन लोगों के लिए एक बेहतरीन स्रोत है जो आज 20 April 2025 GOLD AND SILVER PRICES जानना चाहते हैं। यहां आपको भारत में GOLD AND SILVER PRICES मिलेंगी, जिन्हें नियमित रूप से अपडेट किया जाता है। हाल ही में चीन और अमेरिका के व्यापार युद्ध (trade war) की वजह से चांदी के दामों में भारी गिरावट देखी जा रही है।चाहे आप निवेशक हों, जौहरी हों या कोई ऐसा व्यक्ति जो अपने निवेश को समझदारी से करना चाहता है, यह चैनल आपकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए सबसे बेहतर स्थान है।
- सोने या चांदी के दाम हर रोज़ बाजार के उतार-चढ़ाव के आधार पर बदलती रहती हैं।
- इस ब्लॉग पर आपको प्रमुख भारतीय शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु और अन्य स्थानों की सोने और चांदी की कीमतें मिलेगी।
- इसके अलावा, हम यहां 22 कैरेट और 24 कैरेट सोने की कीमतों का भी उल्लेख करते हैं ताकि आप अपनी ज़रूरत के अनुसार जानकारी प्राप्त कर सकें।
- यह जानना जरूरी है कि यहां दी गई कीमतें बाजार में थोड़े बदलाव के साथ बदल सकती हैं।
- GOLD AND SILVER PRICES में बदलाव के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतार-चढ़ाव, मांग और आपूर्ति का संतुलन, मुद्रा की दरें और अन्य आर्थिक कारक होते हैं।
- इसलिए, हम आपको यह सलाह देते हैं कि इन कीमतों की पुष्टि करते समय बाजार की मौजूदा स्थिति को भी ध्यान में रखें।
हमारा लक्ष्य है कि आपको सही और सटीक जानकारी प्रदान करें ताकि आप अपने निवेश निर्णयों को समझदारी से ले सकें। हमारे ब्लॉग के माध्यम से आपको कीमतों के अलावा, बाजार से जुड़े महत्वपूर्ण अपडेट्स और टिप्स भी मिलेंगे जो आपको बेहतर निवेश का मार्गदर्शन करेंगे। तो अगर आप सोने और चांदी में निवेश कर रहे हैं, या केवल उनके दामों के बारे में जानकारी रखना चाहते हैं, तो इस ब्लॉग को नियमित रूप से फॉलो करना न भूलें!
यहाँ दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में आज 20 April 2025 सोने और चांदी की कीमतें दिए गए हैं:
CITY | 24k GOLD (GST PRICE) 10GRAMS | 22k GOLD (GST PRICE) 10GRAMS | SILVER (GST PRICE) PER KG |
DELHI | ₹100500 | ₹92134 | ₹97900 |
MUMBAI | ₹98550 | ₹90300 | ₹97900 |
CHENNAI | ₹100480 | ₹92134 | ₹110000 |
KOLKATA | ₹100500 | ₹92134 | ₹99150 |
ध्यान दें कि ये भाव बाज़ार के अनुसार बदल सकते हैं, और इनमें दैनिक या साप्ताहिक उतार-चढ़ाव भी हो सकता है, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में अस्थिरता और मांग-आपूर्ति के आधार पर होते हैं
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GOLD AND SILVER PRICES कई महत्वपूर्ण कारकों पर निर्भर करते हैं। इनमें से कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
1. अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतार-चढ़ाव
- GOLD AND SILVER PRICES अंतरराष्ट्रीय बाजार में होने वाले बदलावों से बहुत प्रभावित होती हैं। जैसे-जैसे वैश्विक स्तर पर निवेश, मांग, और आपूर्ति में बदलाव होता है, वैसे ही इन धातुओं के दामों में उतार-चढ़ाव आता है। हाल ही में चीन और अमेरिका के व्यापार युद्ध (trade war) की वजह से चांदी के दामों में भारी गिरावट देखी जा रही है। ऐसी स्थिति अंतरराष्ट्रीय बाजार में अव्यवस्था के कारण होती है।
2. डॉलर की कीमत
- चूंकि सोने और चांदी का व्यापार अमेरिकी डॉलर में किया जाता है, इसलिए डॉलर की विनिमय दर में बदलाव का प्रभाव सीधा इनकी कीमतों पर पड़ता है। जब डॉलर की कीमत मजबूत होती है, तो सोने-चांदी के दाम कम हो सकते हैं, और जब डॉलर कमजोर होता है, तो इनके दाम बढ़ सकते हैं।
3. मांग और आपूर्ति
- यदि सोने और चांदी की मांग अधिक होती है और उनकी आपूर्ति सीमित होती है, तो उनके दाम बढ़ सकते हैं। इसका सीधा असर त्योहारों और शादी के मौसम में भी देखा जा सकता है, जब इनकी मांग बढ़ जाती है।
4. मुद्रास्फीति (महंगाई)
- महंगाई की दर में वृद्धि होने पर निवेशक सोने और चांदी को सुरक्षित निवेश के रूप में देखते हैं। इसलिए, उच्च मुद्रास्फीति के समय में इनकी कीमतें आमतौर पर बढ़ जाती हैं।
- SOURCE- YOUTUBE
Daily Dose
में हम आपको मौजूदा समय के प्रसिद्ध आर्थिक शब्दों को हिंदी और सरल भाषा में समझाते हैं।
NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) क्या है?
NPA (Non-Performing Assets) का हिंदी में अर्थ है “गैर-निष्पादित परिसंपत्ति”। यह बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण शब्द है, जो ऋण (Loan) या उधार (Credit) से जुड़ी समस्याओं को दर्शाता है। जब कोई ऋण लेने वाला (उधारकर्ता) बैंक या वित्तीय संस्थान को निर्धारित समय पर किश्त (EMI) या ब्याज नहीं चुका पाता, तो उस ऋण को NPA घोषित कर दिया जाता है।
NPA कैसे बनता है?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, यदि कोई उधारकर्ता 90 दिनों (3 महीने) तक लगातार ऋण की किश्त या ब्याज नहीं चुकाता, तो उस ऋण को NPA माना जाता है। इसके अलावा, यदि ऋण की अवधि समाप्त हो चुकी है और मूलधन (Principal Amount) वापस नहीं मिला है, तो भी उसे NPA श्रेणी में रखा जाता है।
NPA के प्रकार (Types of NPA)
RBI ने NPA को तीन श्रेणियों में बाँटा है:
1. सब-स्टैंडर्ड एसेट्स (Sub-Standard Assets)
- ऋण 12 महीने से NPA बना हुआ है।
- इसमें चुकौती की संभावना कम होती है।
- बैंक इन ऋणों पर अधिक ब्याज वसूलता है।
2. डाउटफुल एसेट्स (Doubtful Assets)
- यदि ऋण 12 महीने से अधिक समय तक NPA रहता है, तो उसे डाउटफुल माना जाता है।
- इन ऋणों के वापस मिलने की संभावना बहुत कम होती है।
3. लॉस एसेट्स (Loss Assets)
- ये ऋण पूरी तरह से डिफॉल्ट (Default) हो चुके होते हैं।
- बैंक इन्हें अपने बैलेंस शीट में नुकसान (Loss) के रूप में दर्ज करता है।
NPA के कारण (Reasons for NPA)
- आर्थिक मंदी (Economic Slowdown) – व्यवसायों को मुनाफा नहीं होता, जिससे वे ऋण नहीं चुका पाते।
- कृषि संकट (Farm Crisis) – किसान फसल खराब होने या कम दाम मिलने पर ऋण नहीं चुका पाते।
- बैंकों की लापरवाही (Bank’s Negligence) – जाँच के बिना ऋण देना या जोखिम भरे सेक्टर को लोन देना।
- धोखाधड़ी (Fraud) – कुछ कंपनियाँ जानबूझकर ऋण नहीं चुकाती (जैसे विजय माल्या, नीरव मोदी के मामले)।
- प्राकृतिक आपदाएँ (Natural Disasters) – बाढ़, सूखा या महामारी (जैसे COVID-19) से व्यवसाय प्रभावित होते हैं।
NPA के प्रभाव (Impact of NPA)
1. बैंकों पर प्रभाव
- बैंकों का मुनाफा कम होता है।
- ऋण देने की क्षमता घटती है।
- बैंक शेयर की कीमतें गिर सकती हैं।
2. अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
- नए उद्योगों को ऋण नहीं मिलता, जिससे रोजगार कम होता है।
- सरकार को बैंकों को बचाने के लिए पैसा लगाना पड़ता है (जैसे Yes Bank और PMC Bank केस)।
3. आम जनता पर प्रभाव
- बैंक ऋण के नियम कड़े कर देते हैं, जिससे लोन लेना मुश्किल हो जाता है।
- FD और बचत खातों पर ब्याज दरें कम हो सकती हैं।
NPA को कैसे कम किया जा सकता है? (Solutions to Reduce NPA)
- इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC – Insolvency and Bankruptcy Code) – इस कानून के तहत NPA वाली कंपनियों की संपत्ति बेचकर बैंकों को पैसा वापस मिलता है।
- एसेट रिकंस्ट्रक्शन (Asset Reconstruction) – बैंक खराब ऋणों को ARCs (एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियों) को बेच देते हैं।
- वन-टाइम सेटलमेंट (OTS – One Time Settlement) – उधारकर्ता एकमुश्त राशि चुकाकर ऋण से मुक्त हो सकता है।
- सरकारी योजनाएँ (Government Schemes) – जैसे “बैड बैंक” (National Asset Reconstruction Company Ltd – NARCL) जो बैंकों के NPA खरीदकर समस्या हल करता है।
NPA बैंकिंग प्रणाली के लिए एक बड़ी समस्या है, जिससे बैंकों की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है। भारत सरकार और RBI इस समस्या को हल करने के लिए कई कदम उठा रहे हैं, जैसे IBC, बैड बैंक और सख्त ऋण नीतियाँ। आम नागरिकों को भी ऋण लेते समय सावधानी बरतनी चाहिए ताकि वे NPA का हिस्सा न बनें।
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