भारतीय रुपया 84.74 प्रति डॉलर पर, अब तक की सबसे बड़ी गिरावट
DATE-03/12/2024 SSONI
घटना का मुख्य विवरण:
- रुपया गिरावट के रिकॉर्ड स्तर पर:
- मंगलवार को रुपया 84.7425 प्रति डॉलर तक गिर गया, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है।
- यह सोमवार के 84.7050 प्रति डॉलर के पिछले रिकॉर्ड स्तर को पार कर गया।
- डॉलर का प्रभाव:
- डॉलर सूचकांक 106.50 तक पहुंच गया, जिससे वैश्विक मुद्राओं पर दबाव बढ़ा।
- चीनी युआन और अन्य एशियाई मुद्राओं में भी कमजोरी।
रुपये की गिरावट के कारण:
- अमेरिकी डॉलर की मजबूती:
- यूरो और अन्य मुद्राओं में कमजोरी के कारण डॉलर मजबूत हुआ।
- भारत की विकास दर पर चिंता:
- भारत के निराशाजनक जीडीपी आंकड़ों ने निवेशकों की धारणा को कमजोर किया।
- कमजोर विकास दर के चलते विदेशी निवेश में कमी।
- आरबीआई का सीमित हस्तक्षेप:
- मुद्रा व्यापारी के अनुसार, आरबीआई का हस्तक्षेप अपेक्षाकृत हल्का रहा।
- डॉलर की उच्च मांग भी रुपये पर दबाव डाल रही है।
- विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट:
- भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार आठ हफ्तों से गिर रहा है, जो पांच महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया।
प्रभाव और विश्लेषण:
- मुद्रा व्यापारी का दृष्टिकोण:
- रुपये में हालिया गिरावट बिना किसी बड़े प्रतिरोध के रही है।
- यह स्थिति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक संकेत देती है।
- एएनजेड के विश्लेषण:
- कमजोर जीडीपी और “हीन मैक्रो कॉन्फिगरेशन” के चलते रुपये की गिरावट अपरिहार्य।
- विदेशी निवेशकों का विश्वास कमजोर हो रहा है।
भविष्य की संभावनाएं:
- आरबीआई की भूमिका महत्वपूर्ण:
- रुपये को स्थिर रखने के लिए केंद्रीय बैंक को हस्तक्षेप बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है।
- वैश्विक आर्थिक परिदृश्य:
- अमेरिकी डॉलर की स्थिरता और वैश्विक अर्थव्यवस्था की गति रुपये की दिशा तय करेंगे।
- घरेलू आर्थिक सुधार:
- निवेशकों का विश्वास बहाल करने के लिए भारत को विकास दर में सुधार और मैक्रो-इकोनॉमिक स्थिरता पर ध्यान देना होगा।
मुख्य बिंदु:
- रुपये ने 84.7425 प्रति डॉलर का नया रिकॉर्ड निचला स्तर छुआ।
- डॉलर की मजबूती और एशियाई मुद्राओं की कमजोरी प्रमुख कारण।
- आरबीआई का सीमित हस्तक्षेप और विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट चिंताजनक।
- भारत की कमजोर जीडीपी और निवेशकों की नकारात्मक धारणा ने स्थिति को और खराब किया।
- आरबीआई और सरकार के लिए रुपये को स्थिर करने की चुनौती बढ़ी।